Friday, November 12, 2010

खुल गया कामना का बंधन

 
कालियदमन कान्हा सुमिरन
खुल गया कामना का बंधन

अब मुक्त व्योम की शोभा में
खिल रहा श्याम का ही चिंतन
 
वह हर चिंता से छूट गया
मन में छाई बांकी चितवन

उल्लास प्रेम सेवा लाये 
केशव करूणा महके आँगन
 
लो ज्योति जगी उस वैभव की
जो दिखलाए है मनमोहन 
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
१२ नवम्बर 2010



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