Thursday, November 11, 2010

हवा की सांसों में

 
लिख लिख कर
उसने फिर
श्याम का नाम मिटाया
अब युग बदल गया
पनघट पर
कोई नहीं आया

पर हवा की सांसों में
कृष्ण का होना
घुला हुआ है निरंतर 
मौन होकर
सुनने लगा वह
पवन में कान्हा का स्वर


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, ११ नवम्बर 2010
 

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