Wednesday, November 3, 2010

साँसों में श्याम समाया है

 
चल आज बसन्ती पवन चली 
साँसों में श्याम समाया है
सखी प्रेम मगन कलियाँ भँवरे
आनंद परम नभ छाया है

बस्ती बस्ती गिरिधारी है
छवि कान्हा की अति प्यारी है
सब नाच रहे हरिभजन संग
उर में गोविन्द समाया है

अशोक व्यास
१३ अप्रैल २००५ को लिखी
३ नवम्बर २०१० को लोकार्पित

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