मेरा है गोपाल और नंदलाला भी
मुझमें गाये है गोकुल का ग्वाला भी
वही मधु बन मन में बसने आये है
मनमोहन मधुसूदन है मतवाला भी
दिखता है गैय्या के खुर की रेत उड़े
पीछे आये है सबका रखवाला भी
चलो चलो, माखन खाने की बेला है
छुप छुप देखे है मटकी ब्रजबाला भी
उसने कृपा दृष्टि से अमृतमय करके
सोंपी दई है श्याम नाम की माला भी
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार, २० नवम्बर २०१०
No comments:
Post a Comment