चल श्याम नाम खुल कर गायें
हम प्रेम ग्रन्थ खुद बन जाएँ
हर सांस नंदनंदन सुमिरन
पग पग सौभाग्य पे इतरायें
जिससे जीवन उपहार मिला
हर सांस उसी के गुण गायें
चाहे आंधी-तूफ़ान आये
हम कभी ना उनसे घबराएं
घनघोर घटा चाहे छाये
ले नाम की छतरी बढ़ जाएँ
अब सरस श्याम की शोभा में
तज देह-भान, हम रम जाएँ
चल श्याम नाम खुल कर गायें
हम प्रेम ग्रन्थ खुद बन जाएँ
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
११ नवम्बर २०१०
1 comment:
बहुत खूबसूरत रचना......
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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