चल कृष्ण सखा से बात करें
रच खेल, यूँ ही शह-मात करें
और बात बात में बिना कहे
उसके चरणों पर हाथ धरें
चिन्मय कान्हा का साथ करें
फिर नंदनंदन की बात करें
उसकी लीला का रस सागर
छूकर मंगल दिन-रात करें
चल कृष्ण सखा की बात करें...
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
मंगलवार, ९ नवम्बर २०१०
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