Wednesday, May 4, 2011

सबको किया निहाल


बलदाऊ का भाई है वासुदेव नंदलाल
उसको ही मालूम है मेरा सारा हाल

खोई जब गायें सभी, जब  खोये सारे ग्वाल
श्याम बने सब आप तब, सबको किया निहाल

ये मटकी, वो कंकरी, कुछ ही पल की देर
जब फूटे, तब बह चले श्याम नाम की तेर

उससे प्रेम बढे मेरा, इतनी सी है चाह
जिस पथ पर कान्हा नहीं, क्यूं जाऊं उस राह


अशोक व्यास 
१२ जून १९९७ की पंक्तियाँ
जय ४, २०११ को लोकार्पित 
        

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