Saturday, May 7, 2011

जिस पर कान्हा की कृपा


प्रेम सांवरे का लिखूं, और ना दूजी बात
सारे जग हो साथ में, जब कान्हा का साथ
मन में उसकी प्रीत का यज्ञ करू दिन-रात
कर कर के देखा सखी, सब कुछ उसके हाथ

नंदलाल है नाथ हमारा
मोर मुकुट वाला है प्यारा

गोविन्द गुण जादू भरा
सूखें में दीखे हरा

श्याम सहारे हूँ हर ठौर
उसका सुमिरन है सिरमौर

कान्हा  कथा सुनाय के, आनंदित रस आय
जिस पर कान्हा की कृपा, उसको ये रस भाय

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२४ मई १९९७ को लिखी
७ मई २०११ को लोकार्पित              

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