Wednesday, May 11, 2011

परम प्रिय श्याम मेरे


कान्हा!
स्पष्टता देना, पथ दरसाना
शक्ति देना, गति दिलाना

तुम जीवन आधार, परम प्रिय श्याम मेरे
करुण प्रेम विस्तार, परम प्रिय श्याम मेरे

सारा जीवन, तव चरणन का सुमिरन हो
खुले सृष्टि का सार, परम प्रिय श्याम मेरे
अशोक व्यास
अप्रैल 6 और 7, २००८ को लिखी
११ मई २०११ को लोकार्पित  

1 comment:

Rakesh Kumar said...

कृष्ण प्रेम और भक्ति ही जीवन का सार है.
भक्तिपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
कुछ समय मेरे ब्लॉग पर आने का भी निकालिएगा.