Monday, May 30, 2011

चल चंचल मन


चल चंचल मन
ठहर ज़रा
मद्धम मद्धम कर गति 
श्रवण तब हो
कान्हा की मुरली का,

चल चंचल मन
ठहर कहीं
अब भाग लिया तू बहुत
यूं ही पीछे छाया के

चल रे व्याकुल हो लिया बहुत
अब कर विश्राम
शरण ले उसकी

चल चल मन
चल चंचल मन

अशोक व्यास
मई ३१, २००८ को लिखी
मई ३०, २० ११ को लोकार्पित          

No comments: