Wednesday, May 18, 2011

करूँ आवाहित तुमको श्याम


जितने भी प्रभाव हैं मन पर
सब प्रक्षालित कर दो श्याम
नित्य निरंतर, भीतर-बाहर
सुनूं सदा बस तेरा नाम

ऐसी करो कृपा यदुकुल्पति
मिटे क्षुद्रता का घेरा
मुक्त रहे मन, आनंद जागे
छोड़ वासना का फेरा

प्रीत तिहारी उज्जवल, निश्छल 
आश्रय केवल तेरा धाम
तज कर सब प्रभाव मन के अब
करूँ आवाहित तुमको श्याम
जय श्री कृष्ण

अशोक व्यास
न्जुने ११, २००८ को लिखी
१८ मई २०११ को लोकार्पित             

1 comment:

Rakesh Kumar said...

जितने भी प्रभाव हैं मन पर
सब प्रक्षालित कर दो श्याम
नित्य निरंतर, भीतर-बाहर
सुनूं सदा बस तेरा नाम

नाम के श्रवण से नाम के मनन से नामी का रूप भी हृदय में आजाता है.कहतें हैं
"सुमरिय नाम रूप बिनु देखे,आवत हृदयँ स्नेह विसेषे"
रूप के बिना देखे भी नाम का स्मरण किया जाये तो भी वह विशेष प्रेम के साथ हृदय में आ जाता है

नाम और रूप हृदय में हों, तो हृदय का अवांछित भावों से प्रक्षालन स्वाभाविक ही हों जाता है.केवल आनंद का ही भाव हृदय में रमण करने लगता है.

आप आनंद के भाव में रमण कर रहें hain अशोक भाई.बहुत आनंद आ जाता है आपकी आनंदमयी अभिव्यक्ति पढकर.
बहुत बहुत आभार.