Friday, May 27, 2011

ले श्याम रंग हो जा उज्जवल



मन प्रेम उजागर कर प्रति पल
बिन श्याम, सकल जग है मरुथल
सुमिरन रस ऐसा जाग्रत कर
ले श्याम रंग हो जा उज्जवल

अशोक व्यास
१३ जून २००८ को लिखी
२७ मई २०११ को लोकार्पित     

2 comments:

Rakesh Kumar said...

सुमिरन रस ऐसा जाग्रत करले
श्याम रंग हो जा उज्जवल

सुन्दर भाव.
सुमिरन रस जिसने चखा
श्याम ने भी उसे प्यार से लखा

Rakesh Kumar said...

सुमिरन रस ऐसा जाग्रत करले
श्याम रंग हो जा उज्जवल

सुन्दर भाव.
सुमिरन रस जिसने चखा
श्याम ने भी उसे प्यार से लखा