Friday, August 27, 2010

हर पल में दीखे मनमोहन


गीला स्पर्श घनश्याम का
स्नेह निर्झर हरिनाम का

चहुँओर छाया उसका नर्तन
मुरली आलोक छू पाये मन

वह श्याम सलौना मन भाये
हर रोम कथा उसकी गाये

उल्लास भरा नन्दलाल मिले
नित श्याम नाम की ताल खिले

जय कृष्ण कृष्ण
हरी कृष्ण कृष्ण

नित कृष्ण कृष्ण की तान राहे
कुछ ओर ना मुझको भान राहे

हर सांस वही, हर कर्म वही
है शब्द्सुधा का मर्म वही

हर पल में दीखे मनमोहन
मैं एक धार को करूँ नमन 

अशोक व्यास
१४ जनवरी १९९५ को अहमदाबाद यात्रा के दौरान लिखी गयीं 
२७ अगस्त २०१० को लोकार्पित 


1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मंगलवार 31 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

http://charchamanch.blogspot.com/