हर दिन देखूं
बाट तुम्हारी
तुम संग
आनंद किरणें सारी
उतर रहे आल्हाद लिए तुम
सत्य की स्वर्णिम याद लिए तुम
सांस सांस में
करे उजाला
मैं गाऊँ
आये नंदलाला
कहे कोई
गोकुल का ग्वाला
गायों का
अनुपम रखवाला
रक्षक, स्वामी
अन्तर्यामी
बनूँ तुम्हारा
मैं अनुगामी
गा गा
राधे कृष्ण मुरारी
सुन्दर कर लूं
धरती सारी
बहे प्रेम सागर अविराम
कृष्ण सखा को कोटि प्रणाम
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
११ दिसंबर १९९४ को लिखी
१० अगस्त २०१० को लोकार्पित
1 comment:
कृष्ण सखा मेरा भी कोटि-कोटि प्रणाम!
Post a Comment