श्याम छवि पढ़ पढ़ लिखूं
नित्य श्याम का नाम
नित्य नई उसकी छवि
नया लगे यह नाम
श्याम चेतना तान पर
छेड़े धुन नवनीत
सुनूं भरा आनंद में
बढे श्याम से प्रीत
मुरली वाले की कृपा
कह सकता है कौन
जो भी सोचे बोलना
पाये मंगल मौन
अशोक व्यास
२७ नवम्बर १९९४ को लिखी
२६ अगस्त २०१० को लोकार्पित
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