Thursday, August 26, 2010

बढे श्याम से प्रीत


श्याम छवि पढ़ पढ़ लिखूं
नित्य श्याम का नाम
नित्य नई उसकी छवि
नया लगे यह नाम

श्याम चेतना तान पर
छेड़े धुन नवनीत
सुनूं भरा आनंद में
बढे श्याम से प्रीत

मुरली वाले की कृपा
कह सकता है कौन
जो भी सोचे बोलना
पाये मंगल मौन

अशोक व्यास
२७ नवम्बर १९९४ को लिखी
२६ अगस्त २०१० को लोकार्पित

No comments: