भागा-भागी समय की
कैसे करूँ विचार
ध्यान धरे के वास्ते
बंद चाहिए द्वार
मन मोहन की चरण रज
माथे दई लगाय
ध्यान ज्ञान आवे नहीं
पर आनंद रस पाय
भक्ति कृपा जगदीश की
अनुभूति अनमोल
बोले जा मन नित्य तू
श्याम प्रेम के बोल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२४ दिसंबर ०६ को लिखी
२९ अगस्त २०१० को लोकार्पित
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