आनंद आनंद आनंद आनंद
परम प्रेम रस, दिव्य दरस छंद
पुरुषोत्तम चरणन शीतल मन
मनमोहन सुमिरन रस मकरंद
कृष्ण कथा रस लीन सरस मन
मुखरित अंतस अच्युत आनंद
देह भाव बिसरा जब इस क्षण
साईं कृष्ण उजागर कण कण
आनंद आनंद आनंद आनंद
आवन-जावन लहर परे मन
मनमोहन का छत्र गोवर्धन
माया मेघ बरसता बाहर
अपने संग तो नन्द का नंदन
अशोक व्यास
जून १४ २००८ को लिखी
२३ मई २०११ को लोकार्पित
1 comment:
आनंद आनंद आनंद आनंद
आवन-जावन लहर परे मन
मनमोहन का छत्र गोवर्धन
माया मेघ बरसता बाहर
अपने संग तो नन्द का नंदन
आनंद,आनंद बस आनंद ही आनंद
यदि नित्य संग हो नन्द नंदन का
सुन्दर अनुपम,अनुपम सुन्दर
अशोक जी शोक हरे आपका गीत मनोहर.
आप मेरे ब्लॉग पर अभी तक क्यूँ नहीं आये?
aapka betaabi se intjaar hai Ashok bhai.
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