Thursday, May 26, 2011

साँसों में कृपा की मधुशाला


उल्लास अहा! विश्वास अहा!
मनमोहन का वह रास अहा
करुणा सागर मुरली धुन से
गोपियाँ में जागी प्यास अहा 

चल कूद-फांद संग गोपाला
साँसों की शान, नन्द का लाला
वो छुप कर भी है आँखों में
साँसों में कृपा की मधुशाला


अशोक व्यास
न्यूयार्क
१६-17जून २००८ को लिखी
२६ मई को लोकार्पित      

1 comment:

Rakesh Kumar said...

साँसों में कृपा की मधुशाला
पिलाते ही रहें आप यूँ ही आनंद का प्याला
कृष्ण प्रेम में मग्न हो, नित दिन आप
कविता की सरिता बहा, हरें मन का ताप

अशोक जी ये तुकबंदी आपके संग का असर है.