१
उल्लास उजागर लहर लहर
मनमोहन मधुकर आठ पहर
रस्प्रेम, कृपा, मन नवल धवल
यमुना तट पर यूं ठहर ठहर
२
अविचल मस्ती का परिचय कर
मन उछल रहा भक्ति ले पर
हूँ शरण तेरी मेरे मुरलीधर
सब कुछ पाया तेरा होकर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ जून २००८ को लिखी
२८ मई २०११ को लोकार्पित
1 comment:
आपकी सुबह सुबह की प्रार्थना शांति और मंगल प्रदान करने वाली है.
वाह! मधुर समर्पण,तुष्टिपूर्ण.
"सब कुछ पाया तेरा होकर"
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