Sunday, December 13, 2009

उमड़ रहा आनंद


गुरु कृपा का आसरा, मिले भक्ति और ज्ञान
साँस लगे अनमोल अब, दिव्य सुधारस खान

मोहन मोहन मन मगन, उमड़ रहा आनंद
अनुग्रह से जाग्रत हुए, शाश्वत श्रद्धा छंद

गुरु चरण चित्त लग गया, है अटूट विश्वास
गुरु अनुग्रह से मिट रही, युगों युगों की प्यास

बैठ ह्रदय में, कर रहे, शासन संवित राज
करुणा रस में भीग कर, धन्य हो गया आज

अशोक व्यास
न्युयोर्क, अमेरिका
(१३ दिसम्बर ०९ को लोकार्पित मई ११, ०८ को लिखी गयी पंक्तियाँ)

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