Thursday, December 31, 2009

मुस्कान किरण


कृष्ण बड़े गंभीर दिखे
मुख पर गुरु रूप दिखाई दिया

मुस्कान किरण फूटी नन्ही
अमृत पथ शब्द सुने दिया

केशव करुणामय बोल गए
भवबंधन कंद को खोल गए

मुख कान्हा ने अपना खोला
उसमें जग सकल दिखाई दिया


अशोक व्यास,
न्यूयार्क, अमेरिका
( २४ जनवरी २००५ को लिखी, ३१ दिसंबर ०५ को लोकार्पित)

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