
बढे निरंतर प्यार श्याम से राधा जी
हरना, मनो विकार करें जो बाधा जी
सार सांस का कहीं और कुछ मिला नहीं
हुई कृपा अनुराग कृष्ण संग, राधा जी
हरना, मनो विकार करें जो बाधा जी
सार सांस का कहीं और कुछ मिला नहीं
हुई कृपा अनुराग कृष्ण संग, राधा जी

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(२८ जन ०५ लिखित पंक्तियाँ दिसंबर २०, ०९ को लोकार्पित)
न्यूयार्क, अमेरिका
(२८ जन ०५ लिखित पंक्तियाँ दिसंबर २०, ०९ को लोकार्पित)
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