Wednesday, December 16, 2009

गाये जा नंदलाल


कृष्ण कृष्ण भज बावरे
काहे फांके धूल
अमृत बरसे रात दिन
इसे कभी ना भूल


श्याम स्निग्ध मुस्कान से
करते नित्य निहाल
पावन, रसमय पथ सुगम
गाये जा नंदलाल

छोड़ श्याम के आसरे
साँसों के सुर ताल
सारा भय जाता रहा
मित्र हो गया काल

अपनी करनी कुछ नहीं
भजूं श्याम दिन रात
श्रवण कीर्तन हो रहा
बैठ कृष्ण के साथ


अशोक व्यास
न्यू यार्क, अमेरिका
दिसंबर १६, ०९ बुधवार
(२३ फरवरी २००५ को लिखी पंक्तियाँ आज लोकार्पित)

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