
आनंदकंद मनमोहन संग
झूला झूले
राधा प्यारी
चले मधुर पवन
कोयल बोले, बदली सी
रस कि पिचकारी
हो मगन श्याम के ध्यान सखी
मैं तब जीती
जब जग हारी
(२६ जन ०५ को लिखी पंक्तियाँ दिसंबर १८, ०९ को लोकार्पित)
अशोक व्यास, न्यूयोर्क, अमेरिका
झूला झूले
राधा प्यारी
चले मधुर पवन
कोयल बोले, बदली सी
रस कि पिचकारी
हो मगन श्याम के ध्यान सखी
मैं तब जीती
जब जग हारी
(२६ जन ०५ को लिखी पंक्तियाँ दिसंबर १८, ०९ को लोकार्पित)
अशोक व्यास, न्यूयोर्क, अमेरिका
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