Thursday, December 24, 2009

केशव कृपा निधान

1
धर्म कर्म का ज्ञान हो
भक्ति से श्रीमान
मेरे पथ, पाथेय सब
केशव कृपा निधान

2
कृष्ण प्रेम कि आस है
सत्संगत कि नाव
नाम बड़ा मीठा लगे
गुरुकृपा कि छाँव

3
प्रेम श्याम का मिल गया
और ना दूजी चाह
जिस पथ प्रेमी कृष्ण के
वो ही मेरी राह
4
कृष्ण नाम पालन करे
हरे ताप और पाप
एक काज कर मन मेरे
श्याम नाम का जाप

5
अमृत सी मुस्कान से
कितना प्रेम लुटाय
डर, दुविधा व्यापे नहीं
कान्हा करे सहाय

6
विनती है कर जोरी के
ओ मेरे घनश्याम
सांस लहर तिरता रहे
नित्य तुम्हारा नाम


अशोक व्यास, न्यूयार्क
फरवरी ०५ को लिखी दिसंबर २४, ०९ को लोकार्पित

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