Thursday, December 17, 2009

अमृत पान


क्षण क्षण अमृत पान करूँ मैं
तव महिमा का गान करूँ मैं

जिससे सुख दुःख आते जाते
उस अनंत का ध्यान धरूँ मैं

कृपा तुम्हारी तारे कान्हा
सुमिरन अमृत पान करूँ मैं

अशोक व्यास
न्यूयोर्क
(३० दिसम्बर ०४ को लिखी पंक्तियाँ
१७ दिसंबर 09 को लोकार्पित)

No comments: