क्षण क्षण अमृत पान करूँ मैं
तव महिमा का गान करूँ मैं
जिससे सुख दुःख आते जाते
उस अनंत का ध्यान धरूँ मैं
कृपा तुम्हारी तारे कान्हा
सुमिरन अमृत पान करूँ मैं
अशोक व्यास
न्यूयोर्क
(३० दिसम्बर ०४ को लिखी पंक्तियाँ
१७ दिसंबर 09 को लोकार्पित)
तव महिमा का गान करूँ मैं
जिससे सुख दुःख आते जाते
उस अनंत का ध्यान धरूँ मैं
कृपा तुम्हारी तारे कान्हा
सुमिरन अमृत पान करूँ मैं
अशोक व्यास
न्यूयोर्क
(३० दिसम्बर ०४ को लिखी पंक्तियाँ
१७ दिसंबर 09 को लोकार्पित)
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