हर हर गंगे
यमुना मैय्या
कृपा नदी है
करुना गैय्या
मुरली स्वर से
पुलकित करते
धन्य कर रहे
कृष्ण कन्हैय्या
२
कान्हा का सब खेल है
कान्हा की सब चाल
हर एक मोड़ उसका नगर
पग पग उसकी ताल
'कर' कान्हा के काज में
'मन' नित जमुना तीर
हर संकट घटता गया
बढ़ा द्रोपदी चीर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
दिसंबर २३, ०९ बुधवार
(फरवरी ०५ में लिखी पंक्तियाँ आज लोकार्पित)
यमुना मैय्या
कृपा नदी है
करुना गैय्या
मुरली स्वर से
पुलकित करते
धन्य कर रहे
कृष्ण कन्हैय्या
२
कान्हा का सब खेल है
कान्हा की सब चाल
हर एक मोड़ उसका नगर
पग पग उसकी ताल
'कर' कान्हा के काज में
'मन' नित जमुना तीर
हर संकट घटता गया
बढ़ा द्रोपदी चीर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
दिसंबर २३, ०९ बुधवार
(फरवरी ०५ में लिखी पंक्तियाँ आज लोकार्पित)
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