Wednesday, April 7, 2010

जब कृपा करे कन्हाई


चिर मंगल हो
कह कान्हा ने
हंस कर बंशी उठाई
मुग्ध हुए सब
अधर छुए बिन ही
बंशी ध्वनि आई

पत्ते पत्ते से
पवन संग 
मोहक धुन बज पाई
सब से 
सब संभव होवे
जब कृपा करे कन्हाई

अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ जून ०५ को लिखी
८ अप्रैल २०१० को लोकार्पित

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