Wednesday, April 28, 2010

कृपा किरण गोविन्द प्रभु की



कान्हा कान्हा जपे रात-दिन
परमानन्द निवास निरंतर
गिरिधर की लीला में खोई
सुने सांस में मुरली का स्वर

चेतन नित्य मधुर मनभावन
कृष्ण प्रेम की छलकी गागर
कृपा किरण गोविन्द प्रभु की
हरती तम, प्रकटित सुखसागर

अशोक व्यास
११ अगस्त २००५ को लिखी 
२८ अप्रैल २०१० को लोकार्पित

1 comment:

Ravi Kant Sharma said...

बहुत सुन्दर!

दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँ, हर चिन्ता मिट जाये।
जीवन मेरा इन चरणों में, आस की ज्योत जगाये॥