Sunday, April 11, 2010

मुरली वाले की व्यापक छवि




प्रेम उजागर कर कान्हा ने
लीला रास रचाया
छक कर पान किया
कण कण ने
आनंद खूब लुटाया

श्याम सखा संग मस्त गोपियाँ
सुध बुध भूली सारी
छूट गए सब दुःख शोक सब
मिली प्रेम गति न्यारी

मन वृन्दावन यमुना तट पर
वैभव कृष्ण सुनाये 
मुरली वाले की व्यापक छवि 
अति सुन्दर मन भाये

अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
५ जुलाई २००५ को लिखी
११ अप्रैल २०१० को लोकार्पित

No comments: