प्रेम उजागर कर कान्हा ने
लीला रास रचाया
छक कर पान किया
कण कण ने
आनंद खूब लुटाया
श्याम सखा संग मस्त गोपियाँ
सुध बुध भूली सारी
छूट गए सब दुःख शोक सब
मिली प्रेम गति न्यारी
मन वृन्दावन यमुना तट पर
वैभव कृष्ण सुनाये
मुरली वाले की व्यापक छवि
अति सुन्दर मन भाये
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
५ जुलाई २००५ को लिखी
११ अप्रैल २०१० को लोकार्पित
No comments:
Post a Comment