Sunday, April 25, 2010

केशव के चरणारविन्द


लिए मधुर किरणे प्रभु 
सूरज रूप लिए जग छाये

जिससे सब अज्ञान दूर हो
वह आलोक जगाये

केशव के चरणारविन्द की
महिमा वरणी ना जाए

जो पा जाए वह वैभव
वो सकल जगत अपनाए 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ अगस्त २००५ को लिखित
२५ अप्रैल को लोकार्पित

1 comment:

Ravi Kant Sharma said...

यही सच है....
केशव के चरणारविन्द की, महिमा वरणी ना जाए

जिसके चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा .
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ..