(चित्र- ललित शाह) |
शब्द पात्र है
भरता हूँ अमृत
मिलता जो
ह्रदय में
धर जाता
खेल करता
कान्हा
देह छिद्रों में
किस दबाये
किससे
मधुरता बहाए
फूंक मारने वाला
रहस्य ना
बताये
सांस सांस
बांसुरी
बजती जाए
किस दबाये
किससे
मधुरता बहाए
फूंक मारने वाला
रहस्य ना
बताये
सांस सांस
बांसुरी
बजती जाए
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
७ जनवरी १९९५ को बंगलौर में लिखी पंक्तियाँ
१५ अगस्त २०१० को लोकार्पित
2 comments:
सुन्दर!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
जय श्री कृष्णा !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ !!!
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