Friday, October 1, 2010

लक्ष्य शांति का


क्या संभव है
जागना, उठना और
शांति के लिए एक हो जाना?

पुरस्कार देते ह्रदय में
स्पंदन हैं जो
विराट के
उनकी छाप
रह रह कर
जगाती है लहर
और आस्था भी
कि
लक्ष्य शांति का
मुश्किल सही
असंभव नहीं


अशोक व्यास
(गांधीजी के जन्मदिन से पूर्व, आत्मबल की प्रेरणा देने वाले साबरमती के संत के स्मरण सहित)
अक्टूबर १, २०१०
न्यूयोर्क, अमेरिका

No comments: