कृष्ण
क्या तुम अब भी वृन्दावन में रास रचाते हो
कृष्ण
तुम एक साथ, कई युगों को कैसे अपनाते हो
कृष्ण
ये कैसे होता है कि एक ही समय में तुम
अलग-अलग भक्तो को अलग-अलग लीलाएं दिखाते हो
कृष्ण
क्यूं होता है ऐसा कि तुम पास होकर भी
हमें पहचानने में नहीं आते हो
कृष्ण
क्या ये हमारी ही दृष्टि की गलती है या
तुम ही किसी कारण से अपने आपको छुपाते हो?
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
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