अमृत पथ पर मुझे चलाना श्याम मेरे
बाधाएँ सब पार कराना, श्याम मेरे
ये प्रमाद जो जकड रहा मुझको आकर
इसके चंगुल से छुड़वाना श्याम मेरे
माखन खाने लायक मन हो साथ सदा
दोष दृष्टि से मुझे बचाना श्याम मेरे
जब जब तुम ओझल हो जाते नयनों से
तब भी अनुभूति पथ आना श्याम मेरे
नित्य तुम्हारा ध्यान धरे की चाहत हो
इस चाहत को पूर्ण कराना श्याम मेरे
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ सितम्बर २०१० को रचित
३० अक्टूबर २०१० को लोकार्पित
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