Thursday, October 28, 2010

कान्हा भटकन दूर भगाता

 
 
 
 
घर का रास्ता भूल ना जाना भैय्या जी
बात देखती होगी घर पर मैय्या जी
कान्हा की तो आदत है, छल कर देगा
छल के बाहर ले आयेगी गैय्याजी


घर का रास्ता याद दिलाता
कान्हा भटकन दूर भगाता
जन्म जन्म से ढूंढें जिसको
चुटकी भर में वो ले आता


श्याम सुन्दर के साथ डगर पर
चलता जाऊं मौज में भर कर
जहां चलाये, चलता जाऊं
साँसों में श्रद्धा स्वर भर कर

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ जुलाई १० की लिखिए कविता
२८ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित

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