Monday, October 11, 2010

मौन हुआ जाए है मन

 
कान्हा की बंशी धुन सुन कर
जिसको सुध अपनी रह पाई
उसे मिला बस सादा पानी
नहीं मिल सके दूध- मलाई


वैभव जो है
श्याम शरण का
उसका करना है वर्णन
मगर वहां की
झलक सुमिर कर
मौन हुआ जाए है मन


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका 
११ अक्टूबर 2010

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