Sunday, October 10, 2010

कृपासिंधु हैं नटवर नागर

 
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कान्हा की बतियाँ सुन-सुन कर
हुई बावरी सब सखियाँ
कान्हा का रास्ता देखे को 
नित्य सजग हो गयी अँखियाँ
श्याम शरण की प्यास उजागर
प्रेम से छलकी मन की गागर
मुस्का कर अपनापन ढोले
कृपासिंधु हैं नटवर नागर 
अशोक व्यास
१०-१०-१० 
न्यूयार्क, अमेरिका

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