Friday, October 1, 2010

गौरव कान्हा का


लालन की मुस्कान से
रहे प्राण में प्राण,
कान्हा छवि के दरस से
हर मुश्किल आसान


कृष्ण छलाछल प्रेम बहाये
अंतर्मन तक को नहलाये
गौरव कान्हा का गाने को
रोम रोम में मस्ती छाये

अशोक व्यास
 १२ जुलाई २००४ को लिखी
१ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित

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