गोप-ग्वाल के ठौर-ठिकाने जायेंगे
वृन्दावन में हम भी रसिया आयेंगे
मनमोहन को रिझा रहे, ये मानेंगे
ऐसे अपने मन को सुख पहुंचाएंगे
२
श्याम सखा संग खेले जो जमुनातट पर
जिनकी गगरी फूट गयी थी पनघट पर
मौन बिछा कर बुला रहे हैं उन सबको
जिनका ध्यान जमा अच्युत की आह्ट पर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ अक्टूबर २०१०
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