बोल नहीं अनमोल चाहिए
तेरे भक्त का role चाहिए
hole हटा कर शक-संशय के
साथ तेरा अब whole चाहिए
याद, चाह, पाना तुझको ही
सतत सांस ये goal चाहिए
छोड़ सतह की ड्रामेबाजी
हर पग मुखरित soul चाहिए
सुमिरन खनके जिस सिक्के में
हर एक सांस वह toll चाहिए
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ जनवरी २००६ को लिखी
७ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित
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