Thursday, October 7, 2010

मुखरित soul

 
बोल नहीं अनमोल चाहिए
तेरे भक्त का role चाहिए 

hole हटा कर शक-संशय के
साथ तेरा अब whole चाहिए 

याद, चाह, पाना तुझको ही
सतत सांस ये goal चाहिए 

छोड़ सतह की ड्रामेबाजी
हर पग मुखरित soul चाहिए 

सुमिरन खनके जिस सिक्के में
हर एक सांस वह toll चाहिए

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ जनवरी २००६ को लिखी
७ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित

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