Sunday, October 31, 2010

गूंगे के गुड़ स्वाद सरीखा


कान्हा जी से करने बात
मन को लेकर पहुंचा साथ

ऐसे कुछ बदले हालात
उमड़ी आनंद की बरसात

कृपा मनोहर, करूणा सागर
सुख ऐसा देते अपना कर

गूंगे के गुड़ स्वाद सरीखा
सुना नहीं पाऊँ मैं गाकर

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
११ जुलाई १० रचित
३१ अक्टूबर २०१० लोकार्पित

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