Thursday, October 21, 2010


 
श्याम सुन्दर के द्वार पर
खड़े गोप और ग्वाल
जिसको जैसा चाहिए
मिला उसे वो माल

उसने देखा आँख भर
ठहर गया तब काल
तृप्ति के दो घूँट भर
हर कोई हुआ निहाल


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका

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