राधे राधे
श्याम मिला दे
मुरली मनोहर
कहाँ छुपे हैं
कहाँ प्रकट हैं
आज बता दे
शुद्ध करे जो
प्यास प्रेम की
श्याम मिलन की
आस जगा दे
राधे राधे
श्याम मिला दे
जीवन ना बीते
बिन सुमिरन
साँसों में वह
भाव सजा दे
तू तो माँ है
जग जननी है
छलिया मन को
चपत लगा दे
फिर फिर उतरे
सुमिरन सावन
उस छम छम से
मन हर्षा दे
राधे राधे
श्याम मिला दे
२० मार्च २००९ को लिखी
५ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित
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