Saturday, October 23, 2010

मित्र बना सारा जगत

 
कृष्ण नाम रस धार में
मधुर समन्वित राग,
शीतल मन का साथ है
मिट गयी सारी आग,
 
अनुपम प्रेम प्रसार है
श्री चरणों का सुमिरन
निश्छल मन करने लगे
कण कण का आलिंगन

अद्भुत तेरे नाम का
है ऐसा परताप
मित्र बना सारा जगत
सुने प्रेम आलाप 
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका

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