Friday, October 8, 2010

तुम नित्य मुखर


आनंद श्याम
नन्द नन्द श्याम

तुम नित्य मुखर
मन में होकर
तम हरते हो
सुख करते हो

यह प्रीत तुम्हारी है आधार
इस कृपा दृष्टि में सकल सार 
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
२ जुलाई २००७ को लिखी 
८ अक्टूबर २०१० को लोकार्पित 

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