१
कान्हा कौन है
कान्हा प्यारा है
कान्हा कैसा है
कान्हा न्यारा है
प्यारा कौन है
कान्हा प्यारा है
न्यारा कौन है
कान्हा न्यारा है
हमारा कौन है
कान्हा हमारा है
२
मनमोहन सरकार हमारे
चलें लिए मुस्कान
हरते जाते हैं मन उसका
जिसका पाते ध्यान
३
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द
मीठी है मुस्कान मधुर मेरे कान्हा की
लगती है हर बात मधुर मेरे कान्हा की
दिखने में चाहे एकाकी दिखा करूं
साथ निरंतर मधुर छवि मेरे कान्हा की
अशोक व्यास
१४ जुलाई १९ जुलाई और २२ जुलाई २००५ को लिखी
१८ अप्रैल २०१० को लोकार्पित
1 comment:
bahut khub
karinshan ki kavita bahut achi lagi
is ke liye badhai aap ko
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
Post a Comment