Thursday, April 22, 2010

जिसने पाया श्याम


कर कान्हा के नाम तू
शब्द, सोच, हर बात
सांस साध ऐसे रे मन
नित श्याम सखा हो साथ


रोक प्रेम का रोकना
कहता भक्त सुजान
हुआ श्याम का संग जब
क्यूं फिर संग हो आन

मान और अपमान का
खेल हुआ नाकाम
उसे कौन बाँधे भला
जिसने पाया श्याम

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ अगस्त २००५ को लिखी
२२ अप्रैल २०१० को लोकार्पित

1 comment:

Ravi Kant Sharma said...

व्यास जी, मन से अच्छी प्रार्थना.....

कर कान्हा के नाम तू शब्द, सोच, हर बात।
सांस साध ऐसे रे मन नित श्याम सखा हो साथ॥