Tuesday, August 31, 2010

जो नाच नचाये है सबको

 
आनंद ताल
नंदलाल संग
नित मुदित प्रेम मन
काल संग

चल झूमे
व्रज वन में डोलें
होवें निहाल
गोपाल संग

जो नाच नचाये है 
सबको
मिल रहे कदम
उस ताल संग

ओ सार सरस
केशव प्यारे
कर कृपा करो
इस साल दंग
 
तुम साथ निरंतर 
हो कान्हा
क्यूं फंसूं 
जगत जंजाल संग

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ जनवरी २००६ को लिखी
३१ अगस्त २०१० को लोकार्पित