श्याम नाम की माखन-मिसरी
जो पाऊँ दिन-रात
कहे मन में धर रहूँ
बैचेनी की बात
श्याम चरण बैठा हुआ
कृपा है अपरम्पार
कहे इस पल से परे
होवे कोई विचार
कृपा कृष्ण की संग ले
घूमूं तीनों धाम
भक्ति पथ पर बढ़ चलूँ
लिए प्रेम निष्काम
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
११ और १२ जून १९९८ को लिखी
२ फरवरी २०११ को लोकार्पित
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